बेड़ू पाको बारमासा (हिंदी: पहाड़ी अंजीर वर्ष भर पकते हैं), उत्तराखण्ड का एक प्रसिद्ध कुमाऊँनी लोकगीत है, जिसके रचयिता तथा लेखक बृजेन्द्र लाल शाह हैं। मोहन उप्रेती तथा बृजमोहन शाह द्वारा संगीतबद्ध यह गीत दुनिया भर में उत्तराखण्डियों द्वारा सुना जाता है। इस गीत को पहली बार वर्ष १९५२ में राजकीय इंटर कालेज, नैनीताल के मंच पर गाया गया। बाद में इसे दिल्ली में तीन मूर्ति भवन में एक अंतरराष्ट्रीय सभा के सम्मान में प्रदर्शित किया गया, जिससे इसे अधिक प्रसिद्धि मिली। उस सभा में एचएमवी द्वारा बनाये गए इस गीत के रिकॉर्डिंग समस्त मेहमानों को स्मारिका के रूप में भी दिए गए थे। यह भारत के पहले प्रधानमंत्री, जवाहर लाल नेहरू के पसंदीदा गीतों में से था। Bedu pako bara masa O Naraini kafal paako chaita, meri chhaila Bedu pako bara masa Naraina kafal paako chaita, meri chhaila Bhoon bhoona deen aayo Naraina,tuja teri maita, meri chaila Almora ki Nanda Devi O naren phul chaduni paat meri chhail Bedu pako bara masa..... Tyara khutta kaando budyo O naren mera khutti peed meri chhaila. Bedu pako baromasa..... Aap khanchhe
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