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अक्षरों का महत्त्व | गुणाकर मुले | AKSHARO KA MAHATTV | GUNAKAR MULE | HINDI | CBSE | CLASS 6 | CHAPTER 5 | बसंत | NCERT अक्षरों का महत्त्व - गुणाकर मुले अक्षरों की कहानी...... यह पुस्तक अक्षरों से बनी है। सारी पुस्तकें अक्षरों से बनी हैं। तरह-तरह की पुस्तकें। तरह-तरह के अक्षर। दुनिया में अब तक करोड़ों पुस्तकें छप चुकी हैं। हजारों पुस्तकें रोज छपती हैं। तरह-तरह के अक्षरों में हज़ारों की तादाद में रोज़ ही समाचार-पत्र छपते रहते हैं। इन सबके मूल में हैं अक्षर। हम कल्पना भी नहीं कर सकते कि यदि आदमी अक्षरों को न जानता, तो आज इस दुनिया का क्या हाल होता। कोई कह सकता है कि हम अक्षरों को अनादि काल से जानते हैं। अक्षरों का ज्ञान हमें किसी ईश्वर से मिला है। पुराने जमाने के लोग सचमुच ही सोचते थे कि अक्षरों की खोज ईश्वर ने की है। पर आज हम जानते हैं कि अक्षरों की खोज किसी ईश्वर ने नहीं, बल्कि स्वयं आदमी ने की है। अब तो हम यह भी जानते हैं कि किन अक्षरों की खोज किस देश में किस समय हुई ! हमारी यह धरती लगभग पाँच अरब साल पुरानी है। दो-तीन अरब साल तक इस धरती पर किसी प्रकार के जीव-जंतु नहीं थे। फिर करोड़ों साल तक केवल जानवरों और वनस्पतियों का ही इस धरती पर राज्य रहा। आदमी ने इस धरती पर कोई पाँच लाख साल पहले जन्म लिया। धीरे-धीरे उसका विकास हुआ। कोई दस हज़ार साल पहले आदमी ने गाँवों को बसाना शुरू किया। वह खेती करने लगा। वह पत्थरों के औज़ारों का इस्तेमाल करता था। फिर उसने ताँबे और काँसे के भी औजार बनाए। प्रागैतिहासिक मानव ने सबसे पहले चित्रों के ज़रिए अपने भाव व्यक्त किए। जैसे, पशुओं, पक्षियों, आदमियों आदि के चित्र। इन चित्र-संकेतों से बाद में भाव संकेत अस्तित्व में आए। जैसे, एक छोटे वृत्त के चहुँ 

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